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ये जान कर भी कि दोनों के रास्ते थे अलग / फ़राज़

ये जानकर भी कि दोनों के रास्ते थे अलग
अजीब हाल था जब उससे हो रहे थे अलग

ये हर्फ़-ओ-लफ्ज़ है दुनिया से गुफ़्तगू के लिए
किसी हम हमसुख़नी के मकालमे थे अलग

ख़याल उनका भी आया कभी तुझे जानाँ
जो तुझे दूर तुझसे दूर जी रहे थे अलग

हमीं नहीं थे, हमारी तरह के और भी लोग
अज़ाब में थे जो दुनिया से सोचते थे अलग

अकेलेपन की अज़ीयत का अब गिला कैसा
'फराज़' ख़ुद ही तो औरों से हो गए थे अलग

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