Powered by Blogger.

दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें / फ़राज़

दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें
दिल भी माना नहीं के तुझसे कहें
आज तक अपनी बेकली का सबब
ख़ुद भी जाना नहीं के तुझसे कहें
एक तू हर्फ़आश्ना था मगर
अब ज़माना नहीं के तुझसे कहें
बे-तरह दिल है और तुझसे
दोस्ताना नहीं के तुझसे कहें
ऐ ख़ुदा दर्द-ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त
आब-ओ-दाना नहीं के तुझसे कहें

No comments:

Pages

all

Search This Blog

Blog Archive

Most Popular