Ghazal Dushyant Kumar
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगो / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार भूख है तो सब्र कर / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार अपाहिज व्यथा को वहन कर रहा हूँ / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार खँडहर बचे हुए हैं, इमारत नहीं रही / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है / दुष्यंत कुमार
- ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार ग़ज़ल दुष्यंत कुमार भूमिका / साये में धूप / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार आज सड़कों पर / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार चांदनी छत पे चल रही होगी / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार मत कहो, आकाश में कुहरा घना है / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिए / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख / दुष्यंत कुमार
- ग़ज़ल दुष्यंत कुमार कहीं पे धूप / दुष्यंत कुमार
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