19. एक चुनाव-परिणाम
आओ देखें-
एक छोटी-सी पगडंडी
कहाँ पहुंच सकती है !
भय की ज़मीन पर
निश्चय की ईंट
कैसे एक सृष्टि रच सकती है ?
आओ सोचें-
कैसे घरों में बंद विद्रोह के तर्क
बाहर आ जाते हैं,
और लोकतंत्र के समर्थन में
सफल वातावरण बनाते हैं।
आओ, अंजलि में भर लें-
पराजित लहरों के मुँह से निकलता हुआ झाग ।
देखें--
लौह-पुरुष बनकर पुजने वाला पुतला
मोम का निकला।
एक फूंक से बुझ गया
सूरज समझा जाने वाला चिराग़।
एक छोटी-सी पगडंडी
कहाँ पहुंच सकती है !
भय की ज़मीन पर
निश्चय की ईंट
कैसे एक सृष्टि रच सकती है ?
आओ सोचें-
कैसे घरों में बंद विद्रोह के तर्क
बाहर आ जाते हैं,
और लोकतंत्र के समर्थन में
सफल वातावरण बनाते हैं।
आओ, अंजलि में भर लें-
पराजित लहरों के मुँह से निकलता हुआ झाग ।
देखें--
लौह-पुरुष बनकर पुजने वाला पुतला
मोम का निकला।
एक फूंक से बुझ गया
सूरज समझा जाने वाला चिराग़।
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