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18. सवाल

मुझे पता नहीं यहाँ किस ॠतु में
कौन-सा फूल खिलता है ?
वसंत कब आता है ?
बारह महीने लहलहाते हुए दोनों के क्या नाम हैं ?
वे फसलें जो तिगुनी उपज देने लगी हैं--
कहाँ हैँ?
वे खेत जो सोना उगलते हैं-किसके हैं?
ये खेत जो सूख गए
इनमें क्या बोया गया था ?
वे लोग जो फूलों को देखकर जीते हैं-कैसे हैं?
और ये लोग कौन हैं
जो पौधों को सींचते हैं
मौन हैं?
मुझे पता नहीं वर्षा की बूँदों और सूखी हुई झाडियों में
कैसा संबंध है ?
चारों तरफ फैले और
घिरे हुए लोगों की चीखें
कहाँ से निकलती हैं?
गलियों में बढ़े और पड़े हुए कुत्तों को
कौन खाना खिलाता है?
गायें दिन-ब-दिन क्यों दुबली
और आवारा घूमता बिजार, क्यों मोटा होता जाता है?
पिता होते तो मैं पूछता
इन ख़यालों से मेरा क्या नाता है?
मेरे चारों ओर
सड़कों और झोंपड़ों के जाल
और तरह-तरह के सवाल क्यों हैं ?
क्यों किसी भी सवाल का जवाब
मुझे नज़र नहीं आता ।

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