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अफ़ई की तरह डसने लगी मौजे-नफ़स भी / फ़राज़

अफ़ई[1] की तरह डसने लगी मौजे-नफ़स[2] भी
ऐ ज़ह्रे-ग़मे-यार[3] बहुत हो चुकी बस भी

ये हब्स[4] तो जलती हुई रुत में भी गराँ[5] है
ऐ ठहरे हुए अब्रे-क़रम[6] अब तो बरस भी

आईने-ख़राबात[7] मुअत्तल[8] है तो कुछ रोज़
ऐ रिन्दे-बलानोशो-तही-जाम[9] तरस भी

सय्यादो-निगहबाने-चमन[10] पर है ये रौशन
आबाद [11]हमीं से है नशे-मन[12] भी क़फ़स[13] भी

महरूमी-ए-जावेद[14] गुनहगार न कर दे
बढ़ जाती है कुछ ज़ब्ते-मुसलसल[15] से हवस [16]भी



शब्दार्थ
1काला साँप 2 साँसों की गति भी 3 मित्र के दुख रूपी-विष 4 घुटन 5भारी 6 कृपा रूपी बादल
7 मधुशाला के नियम 8 रोके हुए हैं 9 अधिक मद्यपान करने वाले ख़ाली पात्र
10 उद्यान के शिकारी और संरक्षक 11 बसा हुआ 12 उद्यान 13कारागार
14नित्य की वंचितता 15 लगातार सहन 16उत्कंठा

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