नीरज शुक्ला
जुनून दंगा
जले कच्चे घर
कोठियाँ नही
घायल करे
नकली मुस्कान
कोमलता से
नकली हँसी
कुटिल व्यवहार
शहरी जीवन
धूप सुबह
ओस-सा झिलमिल
इक सपना
स्वागत करो
सफेद रंग वाला
हाथी चला
देनी ही थी
एक दिन तो विदा
बेटी ठहरी
तुम्हें ताकती
घर की चौखट
कब आओगे?
उदास हुआ
समय का पहिया
दुनिया गोल
बन्द का असर
शान्तिपूर्ण रहा
८ मरे ४१ घायल
विज्ञापनों में
नारी गरजती है
आवाज़ कैद
रेत के टीले
तालाब बन गए
अपनी भूल
पेट खाली
दिमाग में सपना
चाँद-सी रोटी
जले कच्चे घर
कोठियाँ नही
घायल करे
नकली मुस्कान
कोमलता से
नकली हँसी
कुटिल व्यवहार
शहरी जीवन
धूप सुबह
ओस-सा झिलमिल
इक सपना
स्वागत करो
सफेद रंग वाला
हाथी चला
देनी ही थी
एक दिन तो विदा
बेटी ठहरी
तुम्हें ताकती
घर की चौखट
कब आओगे?
उदास हुआ
समय का पहिया
दुनिया गोल
बन्द का असर
शान्तिपूर्ण रहा
८ मरे ४१ घायल
विज्ञापनों में
नारी गरजती है
आवाज़ कैद
रेत के टीले
तालाब बन गए
अपनी भूल
पेट खाली
दिमाग में सपना
चाँद-सी रोटी
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