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अमिता कौंडल

जवान बेटा
बूढ़े हुए माँ बाप
ठौर वृद्धाश्रम

कोमल हाथ
कलम की जगह
लिए कुदाल

ये बचपन
कचरे में ढूँढता
खाने को अन्न

हाय गरीबी
जिस पर पड़ती
उसने जानी

फैशन मार
गायब अब साड़ी
जींस तैयार

माँ की दो आँखे
प्रभु का आशीर्वाद
है मेरे पास

रात अकेली
सपने भी अँधेरे
बस ये यादें

ख़ुशी के बाद
गम का अहसास
कुछ ज्यादा

नयन सूखे
प्रतीक्षा में सनम
तुम न आये

माँ का आँचल
सुख का उपवन
खो गया कहीं

सूने नयन
विरहन का दर्द
किसको पता

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